विश्वास की कहानियाँ

बाइबल से विश्वास की प्रेरक कहानियाँ।

लहू बहने वाली स्त्री
मरकुस 5:25-34

एक स्त्री बारह वर्ष से लहू बहने के रोग से पीड़ित थी। उसने अपनी सारी संपत्ति वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर उसे कोई लाभ न हुआ। उसने यीशु के बारे में सुना और भीड़ में उसके पीछे आकर उसके वस्त्र को छू लिया, क्योंकि वह सोचती थी, 'यदि मैं केवल उसके वस्त्र को छू लूँ, तो मैं चंगी हो जाऊँगी।' तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया, और यीशु ने सामर्थ को अपने में से निकलते हुए महसूस किया। यीशु ने उस स्त्री से कहा, 'पुत्री, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।'

चिंतन (Reflection)

"उस स्त्री का विश्वास किसी दिखावे या बड़े प्रदर्शन का नहीं था, बल्कि एक शांत, दृढ़ और व्यक्तिगत विश्वास था। उसने केवल यीशु के वस्त्र के किनारे को छूने में अपने उद्धार की पूरी आशा रखी। यह हमें सिखाता है कि छोटे से छोटा विश्वास भी, जब सही जगह पर यानी यीशु पर रखा जाता है, तो बड़े चमत्कार कर सकता है।"

सूबेदार का विश्वास
मत्ती 8:5-13

कफरनहूम में एक रोमी सूबेदार का दास बीमार था। उसने यीशु से उसे चंगा करने की विनती की। जब यीशु ने उसके घर आने की पेशकश की, तो सूबेदार ने कहा, 'प्रभु, मैं इस योग्य नहीं कि तू मेरी छत के नीचे आए; केवल मुँह से कह दे, तो मेरा दास चंगा हो जाएगा।' यीशु ने उसके विश्वास पर आश्चर्य किया और कहा, 'मैं ने इस्राएल में भी ऐसा बड़ा विश्वास नहीं पाया।' और उसका दास उसी घड़ी चंगा हो गया।

चिंतन (Reflection)

"एक रोमी अधिकारी होने के बावजूद, सूबेदार ने यीशु के अधिकार को समझा। उसे यीशु की शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता नहीं थी; उसे केवल यीशु के एक शब्द पर विश्वास था। यह हमें सिखाता है कि सच्चा विश्वास यीशु के अधिकार को पहचानता है और दूरी या परिस्थितियों से सीमित नहीं होता है।"

कनानी स्त्री का विश्वास
मत्ती 15:21-28

एक कनानी स्त्री यीशु के पास आई और अपनी बेटी को दुष्टात्मा से छुड़ाने के लिए गिड़गिड़ाई। यीशु ने शुरू में उसकी परीक्षा ली, यह कहते हुए कि वह केवल इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के लिए भेजा गया है। पर स्त्री ने हार नहीं मानी और बड़ी नम्रता और दृढ़ता से विनती करती रही। उसके महान विश्वास को देखकर, यीशु ने कहा, 'हे नारी, तेरा विश्वास बड़ा है! जैसा तू चाहती है, वैसा ही तेरे लिये हो।' और उसकी बेटी उसी घड़ी चंगी हो गई।

चिंतन (Reflection)

"इस स्त्री का विश्वास बाधाओं और निराशा के बावजूद दृढ़ रहा। उसने यीशु के इनकार को अंतिम उत्तर नहीं माना, बल्कि और भी अधिक नम्रता से उसके पास आई। यह हमें सिखाता है कि दृढ़ और विनम्र विश्वास बड़ी बाधाओं को भी पार कर सकता है और परमेश्वर के अनुग्रह को प्राप्त कर सकता है।"